सारदा माँ की अमृतमय वाणी,,,,The nectar of Mother Sarada's voice,,,,

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,,,सुनील कुमार दे,,,
      ठाकुर रामकृष्ण देव माँ सारदा देवी के बारे में कहते हैं,,, सारदा स्वयं सरस्वती है, ज्ञानदायिनी है, वह ज्ञान देने के लिए धरती में आई है, वह साधारण नारी नहीं है, वह मेरी शक्ति है। रामकृष्ण देव जी की वाणी और उपदेश रामकृष्ण कथामृत में लिपिवद्ध है जो भक्तजनों के लिए अनमोल रत्न है।माँ सारदा देवी रामकृष्ण की तरह कोई स्कूल में नहीं पढ़ी थी न ही कोई डिग्री हासिल की थी लेकिन दुनिया को शिक्षा दी थी।मा सारदा देवी बहुत ही कम उपदेश दी है लेकिन जो भी बोली है वह अनमोल है तथा अमृत समान है।सारदा माँ की कथा अगर हम हमारे जीवन में अमल कर ले तो हमारा जीवन धन्य हो जायेगा।उदाहरण के तौर पर मा सारदा देवी की कुछ वाणी प्रस्तुत कर रहा हूं जो निम्नलिखित है,,,,
1.सब कुछ मन पर निर्भर है।मन की शुद्धता बिना कुछ भी पाया नहीं जा सकता है।
2.संसार के प्रति तुम्हारी आसक्ति जितनी कम होगी तुम उतनी अधिक शांति और आनंद प्राप्त कर सकोगे।
3.अनेक लोग जीवन में आघात पाने के बाद ईश्वर की ओर उन्मुख होते हैं।लेकिन वह व्यक्ति धन्य है जो बाल्यकाल से ही भगवान के चरणों मे अपने मन को फूल के समान चढ़ा देता है।
4.कर्म करना आवश्यक है।कर्म से ही कर्म पाश काटता है।
5.भक्ति द्वारा असंभव भी संभव हो जाता है।
6.जब पति और पत्नी एकमत होकर साधना करते हैं, तब आध्यात्मिक प्रगति सफलता से होने लगती है।
7.मन को भगवान के चरणों में अटल रूप से स्थिर रखना और उनके चिंतन में तल्लीन करना साधना है।
8.विश्वास क्या कोई सस्ती चीज है।विस्वास तो अंतिम बात है।विस्वास हो गया तो सब हो गया।
9.यदि शांति चाहते हो तो किसी का दोष मत देखो।दोष देखो अपना।संसार में कोई पराया नहीं, यह सारी दुनिया तुम्हारी अपनी है।
10.भय किस बात की है।हमेशा याद रखो की श्रीरामकृष्ण तुम लोगो के पीछे है और मैं हूं तुम्हारी माँ।मैं रहते तुम्हारा कोई भय नहीं।मेरा संतान कभी नरक में नहीं जा सकता है।मुझे भार देकर तुम निश्चिंत हो जायो।
11.मैं सभी की माँ हूँ।सत का भी और असत का भी।भक्त का भी और पापी का भी। केवल गुरु पत्नी नहीं मै सचमुच एक माँ हूँ।अमजद जैसा पुत्र है शरत भी यैसा ही पुत्र है।

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