गीता मानव जाति का अनमोल रत्न है,,,

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,,,सुनील कुमार दे,,,
आज 23 दिसम्बर मोक्षदा एकादशी है अर्थात 5124 वी गीता जयंती है।हमलोग जयंती भगवान का,अवतार और महापुरुषों का मनाते हैं।आजकल आदमी का जयंती नहीं बल्कि हैप्पी बर्थडे लोग मनाते हैं।केक काटके है और मोमबत्ती बुझाते है।यह पश्चिमी कल्चर है।सनातनी कल्चर में कोई भी जयंती पूजा,पाठ,भजन कीर्तन,धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाने की प्रथा है।दुःख की बात यह है कि हम आज अपनी सनातनी संस्कृति को छोड़ रहे हैं, भूल रहे हैं और त्याग रहे हैं।हम भारत के सनातनी हिन्दू अनुकरण में आगे निकल गए हैं अनुसरण में नहीं।
 गीता हमारा एक महान धार्मिक ग्रंथ है जिसकी जयंती हम मनाते हैं।जिसका जन्म होता है उसी की जयंती मनाई जाती हैं।द्वापर युग में भगवान का श्रीकृष्ण अवतार हुआ था।उस समय पाप की प्रवलता, दुस्ट का अत्याचार और भक्त पर अनाचार हो रहा था इसलिए धर्म संस्थापन,दुष्ट का विनाश और भक्त की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण आये थे पूर्ण अवतार के रुप में।पापी दुर्योधन पंच पांडव के लिए बिना युद्ध में पांच गांव तक देने से इंकार कर दिया।श्रीकृष्ण बहुत समझाया और युद्ध टालने की कोशिश की लेकिन बिनाश काले विपरीत बुद्धि।दुर्योधन अंत तक युद्ध को ही चुन लिया।भगवान श्रीकृष्ण धर्म युद्ध मे पांडव को साथ दिया।आज से 5124 वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडव के बीच युद्ध हुआ था मोक्षदा एकादशी के दिन।भगवान श्रीकृष्ण महारथी अर्जुन के रथ में सारथी बने थे।कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव और पांडव आमने सामने,युद्ध शुरू होनेवाला था।युद्ध के पूर्व अर्जुन ने देखा उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में पितामह भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य, कुलगुरु कृपाचार्य, शकुनि मामा, दुर्योधन, दुशासन सहित 100 संगे भाई युद्ध के लिए खड़े हैं।अर्जुन यह सब देखकर मोहग्रस्त हो गया और रथ से उतर कर गांडीव त्याग दिया और कहा,, मैं इन आत्मीय और बंधुजनो के साथ युद्ध नहीं करूंगा,पाप की भागीदारी नहीं बनूंगा,नहीं चाहिए हमे राज पाठ अर्थात अर्जुन विषाद योग शुरू।यही से भगवत गीता शुरू होती है।भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की मोह भंग करने के लिए जो उपदेश कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान दिया था वही भगवत गीता है।भगवत गीता में ज्ञान योग,भक्ति योग,कर्म योग आदि कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है।गीता भगवान कृष्ण की अपना मुंह से निकली हुई वाणी है जो मानव जाति के लिए अनमोल रत्न है।निष्काम कर्म,आत्मा की अमरत्व,पुनर्जन्म,भगवान का अवतरण आदि अनेक प्रसंग गीता में निहित है।गीता केवल सनातन हिन्दू धर्म के लिए ही नहीं बल्कि गीता सभी धर्म के लोगो के लिए है।गीता एक जीवन दर्शन है, गीता में जीने का कला हैं, गीता मानव जाति के लिए एक मार्ग दर्शक है, गीता एक ज्ञान का भंडार है।इसी अनमोल ग्रंथ गीता का जन्म आज से 5124 वर्ष पूर्व मोक्षदा एकादशी के दिन हुआ था।इसलिए सनातन धर्म के लोग गीता को सम्मान देते हुए उनकी जयंती मनाते हैं।
आज गीता जयंती के शुभ अबसर पर सभी भाइयो और बहनों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और गीता प्रवक्ता भगवान श्रीकृष्ण के चरणों मे मेरा भक्ति पूर्ण प्रणाम।

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