✍️राकेश अचल -विभूति फीचर्स
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का मंत्रिमंडल न आम है और न सामान्य। इस मंत्रिमंडल का स्वरूप ' मोहन- मिश्री ' जैसा है। मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव का मंत्री मंडल तीन स्तरीय है। इसमें कैबिनेट स्तर,राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और चार अन्य राज्यमंत्री बनाये गए हैं। नए मंत्रिमंडल में भाजपा के वरिष्ठ एवं अनुभवी श्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ श्री कुंवर विजय शाह, श्री प्रह्लाद सिंह पटेल, श्री राकेश सिंह, श्री करण सिंह वर्मा, श्री उदय प्रताप सिंह, श्रीमती सम्पतिया उइके, श्री तुलसीराम सिलावट, श्री ऐदल सिंह कंषाना, सुश्री निर्मला भूरिया, श्री गोविन्द सिंह राजपूत, श्री विश्वास सारंग, श्री नारायण सिंह कुशवाह, श्री नागर सिंह चौहान, श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, श्री राकेश शुक्ला, श्री चैतन्य काश्यप "भैया जी" और श्री इन्दर सिंह परमार ने शपथ ली।राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में श्रीमती कृष्णा गौर, श्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी, श्री दिलीप जायसवाल, श्री गौतम टेटवाल, श्री लखन पटैल और श्री नारायण सिंह पंवार ने शपथ ली।राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वालों में श्री नरेंद्र शिवाजी पटेल, श्रीमती प्रतिमा बागरी, श्री अहिरवार दिलीप और श्रीमती राधा सिंह शामिल है।
मप्र में भाजपा सरकार की वापसी का मार्ग खोलने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोहन मंत्रिमंडल से कोई ज्यादा निराशा नहीं हुई । उनके समर्थक गोविंद सिंह राजपूत,तुलसी सिलावट ,प्रद्युम्न सिंह तोमर और ऐदल सिंह कंषाना को भी मंत्री पद मिल ही गया है।
मोहन मंत्रिमंडल को लेकर सबका अपना आकलन है,सबका अपना कयास है। आमतौर पर यही समझा जा रहा है कि मंत्रिमंडल में सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया है । आगामी लोकसभा चुनावों को भी मद्देजनर रखा गया है ,लेकिन मुझे लगता है कि यह मंत्रिमंडल पूर्णतया संतुलित है। ये बात अलग है कि मुख्यमंत्री के नाते मोहन यादव को भी दिन-रात ' अलर्ट ' रहकर काम करना पडेगा। उन्हें भी सत्ता और संगठन के साथ गुटों में संतुलन बनाकर चलना पडेगा।
नए मुख्यमंत्री मोहन यादव को अपने मंत्रिमंडल के साथ ' फुल स्विंग ' में काम शुरू करना होगा क्योंकि समय कम है और काम ज्यादा। मुख्यमंत्री को एक तरफ प्रदेश की जनता को सुशासन देना है तो दूसरी तरफ मोदी की गारंटियों को अमली जामा पहनना है और तीसरा सबसे बड़ा काम अपनी छवि को तरल-सरल बनाना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव को कैबिनेट मंत्री पुरानी छवि से बाहर निकलकर दिखाना होगा। ये काम कठिन है लेकिन असम्भव नहीं। मोहन यादव अपने नाम के अनुरूप अपनी छवि गढ़ सकते हैं ,लेकिन शर्त एक ही है कि वे अपनी उपलब्धता पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों के मुकाबले ज्यादा बनाये रखें।
नए मुख्यमंत्री के रूप में सचिवालय यानि बल्ल्भ भवन के गलियारे सत्ता की दलाली के केंद्र न बनें,सत्ता के गलियारों में कमलनाथ सरकार के कार्यकाल की तरह सन्नाटा भी न हो ,इसके लिए बेहतर है कि मंत्रियों की सचिवालय में उपलब्धता और क्षेत्र में उपस्थिति के दिन सुनिश्चत किये जाएँ। नौकरशाही को और ज्यादा सक्रिय बनाया जाये । पुलिस का इकबाल बुलंद करने के लिए पुलिस के कामकाज में हस्तक्षेप को बंद किया जाये । नए मंत्रिमंडल को हम सभी की शुभकामनाएं।(विभूति फीचर्स)